Wednesday, February 15, 2017 | 11:35:00 PM
रमा अपन घर नहिये बसा सकलीह
नै तँ अपन पति के दोस्त
बना सकलीह
नहि ते बच्चा सभक माय बनि सकलीह
जरलाहा मोबाइल नैहर
घरे ल आयल
बेटीक जीवन में अनजाने
माहुर घोर' लागल
छोट छोट बात नदीक लहरि जकाँ
एहि किनार से ओहि किनार
जाइत रहल
नव नव रचना गढ़ैत रहल
बुझनुक माय के अभाव में
बेटीक महल ढहैत रहल
नीक गप नीक सलाह के बदले
अहा हम्मर बेटी कतेक दुखी कनैत रहल
राजरानीक सुख भोगैत बेटी
मायक सुर में सुर मिलवैत रहल
अपन नेना भुटका कनैत
मायक संग लेल
मोबाइल में माय बेटीक हाल
लेत स्वयं ओकर भाग्य पर कनैत रहल
ओ अपन संसार नै बसा सकलीह
पति अपना के काज में डूबा देलक
बाल बच्चा पढ़' बाहर चलि गेल
वयस बीति गेल
समय ससरि गेल
'मायका' 'भायका ' बनि गेल
सब किछ अछैत
सब के रहैत
रमा असगर रहि गेल-----
मायक अभाव में मोबाइल निष्प्राण
भ' गेल
जे मोबाइल कतेको के जीवन सोझराय देलक
आय ओ रमाक जीवनक जपाल बनि गेल -------
रतन जी के एकटा पोस्ट सँ प्रभावित ,,,,
डॉ शेफालिका वर्मा
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