Monday, October 31, 2016 | 10:01:00 PM
"नवदुर्गा"
नौ रूपों में तेरे माँ,
ममता की झलक है;
तेरी आभा से रोशन,
ये धरा और फलक है;
तू आकर बस जाए,
हर दिल में हर घर में;
यही चाह है हम सबकी,
तेरे दुलार की ललक है।
नौ रूपों में तेरे माँ,
शक्ति भरी पड़ी है;
धरती पर जब-जब भी,
दानवी बाधा अड़ी है;
हर रूप में आ-आकर,
रक्षक बनी है तू;
अपने बच्चों की खातिर,
तू हर समय खड़ी है।
नौ रूपों में तेरे माँ,
संदेश विजय का है;
शांति, करुणा, सहनशीलता,
हर भाव विनय का है;
नहीं पनप सकती बुराई,
कभी भी तेरे आगे;
वाहन भी तेरा अभेद्य है,
प्रतीक वो जय का है।
नौ रूपों को तेरे माँ,
अपना प्रणाम करती हूँ;
शीश तेरे चरणों में,
मैं सुबह शाम धरती हूँ;
आशीष दो हम सबको,
अपने दुलार से भर दो;
न्याय-पथ पर चलूँगी,
आज यह प्रण करती हूँ।
अर्चना अनुप्रिया।
Posted By Archana Anupriya