1/26/2017 6:37:00 PM
प्रकृति के हर कण से हम सबके जन्मों के नाते हैं... हम खुशबू हमारे जीवन की सौंधी मिट्टी से ही पाते हैं... दुख हो या सुख हो सब साथ होते हैं हम एक हो जाते हैं.... तभी तो हर काल में, हर युग में हम हर त्योहार मिलकर मनाते हैं..। अर्चना अनुप्रिया।
Posted by: Archana Anupriya
1/26/2017 6:40:00 PM
हमारी अमीरी भी लाजवाब है, दोस्तों... 'प्रेम, अपनापन, संस्कार,सच्चाई, नैतिकता'... हम वो सभी मँहगी चीजें रखते हैं.., जो पैसों से नहीं खरीदी जा सकतीं...। ..अर्चना अनुप्रिया।
Posted by: Archana Anupriya
1/26/2017 6:45:00 PM
जिंदगी के सफर को आसान कर लिया... दुश्मनों को भी अपना कद्रदान कर लिया... मुसीबतें अब मेरे दर पर आने से खौफ खाती हैं.. उम्र के बुझते हौसलों को फिर से जवान कर लिया..।
Posted by: Archana Anupriya
1/26/2017 7:05:00 PM
यादें-- दोस्तों, बचपन हमारी जिंदगी का वो पड़ाव है जो हर व्यक्ति के दिल में आज भी जीवन्त है।सुकून और आनंद से भरे जीवन के उस दौर की यादें आज भी हमारे मुश्किल क्षणों में बहार लेकर आती हैं। 'उछलना, कूदना, खाना, खेलना'---जीवन मानो मस्ती के अलावा कुछ था ही नहीं। निश्छल मन, कोमल कल्पनाएँ और उन कल्पनाओं को हकीकत में बदलने के अजीब-अनोखे से तरीके...याद करके ही मन झूम उठता है।बचपन के जादुई तरीके आज भी कभी कभी हमें मुसीबतों से निकलने में सहायक बन जाते हैं। हैं ना? तो फिर क्यों न हम आज फिर से उसी मासूमियत को जियें, उसी मस्ती में शामिल हो जाएँ और उसी निश्छलता से सबको अपना लें? शायद ऐसा करके हम आज अपने मन की सारी परेशानियाँ दूर कर सकें और एक बार फिर हमारे जीवन में बस बहार ही बहार हो। अर्चना अनुप्रिया।
Posted by: Archana Anupriya
1/26/2017 7:11:00 PM
खूबियों और खामियों के बीच जंग लाजिमी है, इन्हीं दो पाटों में तो बँटा हुआ हर आदमी है, जो जीत जाएँ फिर किस्मत वही तय करती हैं, इनके आपस के द्वन्द्व का नाम ही तो जिंदगी है। अर्चना अनुप्रिया।
Posted by: Archana Anupriya
1/30/2017 7:06:00 AM
वसंत पंचमी शिशिर ऋतूत येणार्या माघ शुद्ध पंचमीला वसंतपंचमी म्हणतात. भारतात साधारणतः मकर संक्रांतीनंतर सूर्याचे उत्तरायण सुरू होतानाच्या काळात येणारा हा सण आहे. भारतात वेगवेगळ्या प्रदेशात वेगवेगळ्या पद्धतीने साजरा होत असला तरी खास करून या दिवशी, नृत्यादि कला शिकवणार्या संस्थांत, विद्येची देवता - सरस्वतीची पूजा करण्याची प्रथा आहे. हा दिवस सरस्वतीचा जन्मदिवस आहे. वसंत पंचमी ही कामदेवाच्या पूजेसाठीही ओळखली जात असे. भारतातीलच नव्हे तर फाळणीनंतर पाकिस्तानात गेलेल्या पश्चिम पंजाबात सुद्धा वसंतपंचमी ही पतंगोत्सवाच्या स्वरूपात साजरी केली जाते. माघ शुद्ध पंचमीला वसंत पंचमी म्हणतात. वसंताचा उत्सव हा निसर्गाचा उत्सव आहे. तो ह्या दिवसापासून सुरू होतो. सतत सुंदर भासणारा निसर्ग वसंत ऋतूत सोळा कलांनी फुलून उठतो. यौवन हा जर आपल्या जीवनातील वसंत असेल तर वसंत हे सृष्टीचे यौवन आहे. महर्षी वाल्मिकींनी रामायणात वसंत ऋतूचे अतिशय सुन्दर व मनोहारी चित्रण केले आहे. भगवान श्रीकृष्णानेही गीतेत ऋतूनां कुसुमाकर असे म्हणून ऋतुराज वसन्ताची बिरुदावली गायली आहे. सतत आकर्षक वाट
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1/31/2017 11:17:00 PM
हे माँ शारदे, वर दे, माँ वीणावादिनी वर दे... मुझ अज्ञानी की वाणी को, अपने संस्कारों से भरा स्वर दे, माँ वीणावादिनी वर दे....। हूँ मिट्टी की काया केवल, मोह माया में मगन मैं, पा लूँ तुझको अपने अंदर, लगाऊँ कैसे ये लगन मैं ? मेरी रूह को अपने उज्जवल प्रकाश से भर दे... हे माँ शारदे, वर दे माँ वीणावादिनी वर दे...। अच्छे-बुरे का ज्ञान नहीं माँ, ना इतनी समझ है मुझमें, बड़ी अनोखी जाल ये दुनिया, बँधी जग के उलझन में, मुझ निर्बल, अदना पर माँ तू अपनी परम कृपा कर दे.. हे माँ शारदे, वर दे माँ वीणावादिनी, वर दे...। सच और झूठ- तू सब जानती है, हर न्याय-अन्याय की भाषा, तेरे हंस के इन्हीं गुणों से, दुनिया को मिले दिलासा, अपनी वीणा के मधुर गान से, जग के सारे दुःख हर ले... हे माँ शारदे, वर दे माँ वीणावादिनी, वर दे...। अर्चना अनुप्रिया।
Posted by: Archana Anupriya
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