Monday, October 31, 2016 | 9:53:00 PM
विजयदशमी पर्व के उपलक्ष्य में-
जब न्याय अन्याय से विजयी हो जाए,
जब धर्म अधर्म पर हावी हो जाए,
जब नैतिकता अनैतिकता को परास्त कर दे,
और,
जब हिंसा अहिंसा के आगे अशक्त हो जाए
तब समझो कि विजय-पर्व आ गया....।
लालसा जब संतोष के सामने हार जाए,
हर भूख जब त्याग के नीचे कुचली जाए,
नफरत जब प्रेम में पड़कर बदल जाए,
और,
स्वार्थ जब प्रेम की भक्ति से परमार्थ बन जाए,
तब समझो कि विजय-पर्व आ गया....।
किसी पुतले को जला कर क्या होगा?
कुछ बदलेगा? क्या कुछ नया होगा ?
हाँ, बुराईयों का अंजाम तो बयां होगा..
शायद, अच्छाई के लिए ही रावण जला होगा..
हम सीख लें इनसे और खुद को बदलें,
सच्चाई को समझ लें न कि माया से बहलें,
विजय-पर्व मनाने की सिद्धि तभी मिलेगी हमें,
जब अंदर की अच्छाई जगा लें और बुराई से संभलें..।
अर्चना अनुप्रिया।
Posted By Archana Anupriya