Monday, April 3, 2017 | 7:57:00 PM
दिन बीते हफ़्ते महीने और बीत गए कई साल
आज शुरू हो गया देखो बिटिया का सोलवा साल
अभी कल की बात है crawl कर jeans पकड़ लेती..
हौले से मुस्करा कर बाहर जाने को रोक लेती
थोड़ा पुचकार कर, गोद में उठाकर मैं मनुहार लेती..
ये नादान भी गोद की गर्माहट से समझौता कर लेती..
वो पहला दिन स्कूल का मेरी यादों से नहीं निकलता
टीचर के पास छोड़कर ज्यों ही मैं मुड़ी वापसी का रास्ता
चार क़दम भी नहीं चल पाई की दौड़कर मुझसे गई लिपट
Stay with me mom, don't go की लगाए जा रही थी रट
मेरे आँखों से अनायास आँसू निकल पड़े बेसबब
मैं भी कुछ ऐसे ही थी इंडिया से आते समय जब माँ से हुई थी अलग..
रफ्ता रफ्ता ज़िंदगी गुज़रती रही, क़द में ,रूप में तु निखरती रही
मॉम-डैड, नाना-नानी, दादा एवं दीदी की दुलारी बन कर,
दिन रात से बेख़बर हमारी छाया में पलती रही..
अजीब सुकून और संतोष का साथ रहा जब भी वो पास रही मेरे
हर रोज़ उसके बढ़ते क़दमों में अपने सपने तलाशती रही मैं ,देर सवेरे..
चाहे lunch/dinner की फ़रमाइश या हो नए ड्रेस की नुमाइश
आधी रात को कुछ नया बनाकर/लिखकर दिखाना
कत्थक में मुझसे पहले वो चक्कर लगाना
चुपचाप मेरे ग्रुप डाँस में शामिल हो जाना
घर के काम की मशरूफियत में मेरा विडियो बनाना
कितनी बातें हैं कितनी यादें हैं क्या बोलूँ क्या ना बोलूँ
ये सब बातें सोचकर ही दिल भावपूर्ण हुआ जाता है
बस यही दुआ है मेरी ...
तुम जियो हज़ारों साल,साल के दिन हो दस हज़ार
जो मिले दुबारा मानव अवतार
तु ही फिर मेरी बेटी बनाना एक बार ..
चलो मनाए जश्न इसी ख़ुशी में ज़ोरदार
शत जिए बिटिया मेरी..उसे ख़ुशियाँ मिले अपरमपार ..//
बाबुल
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