Wednesday, February 15, 2017 | 11:24:00 PM
किसी ने कानों में गुनगुना दिया
संगिनी! फागुन आया
हरसाया मन ..
दौड़ी उपवन में सिहरता तन
फाग कहाँ
बसंत कहाँ ........
खंड खंड में
पेड़ों की शाखों पर
धरती पर अस्तव्यस्त
पुरवैया के साथ अलसाई धूप
गलबहियाँ दे बेखबर पड़ी थी
राग से भरी अनुराग रंग में रंगी
बसन्त के प्यार में लिपटी सी थी ...
पतझर की बारिश में भींगे से अलमस्त बसन्त..... .......
-Shefalika
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