10/31/2016 9:59:00 PM
"गरबा का महत्व" गुजरात में नवरात्रि के समय गरबा करने का बड़ा महत्व है। यह गरबा दर असल प्रकृति का प्रतीकात्मक दर्शन है। गरबा शब्द 'गर्भ' शब्द से बना है। छिद्रों वाली मिट्टी की हाँडी के अंदर दीपक जलाकर प्रकृति के गर्भ को दर्शाते हैं...अर्थात् गर्भ में विकसित होते पिंड में भी चैतन्य का प्रकाश। जिस प्रकार हाँडी में छिद्र हैं उसी प्रकार मानव-शरीर में भी दस छिद्र होते हैं। मतलब यह कि गरबा के द्वारा हम अपने शरीर के चैतन्य-तत्व की ही अराधना करते हैं जो ईश्वरीय अंश है, ईश्वर का वरदान है। मिट्टी की हाँडी में रखा दीप सूर्य का प्रतीक है, छिद्रों से बाहर आते प्रकाश तारामंडल हैं और जैसे सूर्य के चारों तरफ नवग्रह परिक्रमा करते हैं, उसी प्रकार से चारों ओर नृत्य करते हुए घूमना ही गरबा-नृत्य दर्शाता है। यह प्रकृति अपने ग्रहमंडल के साथ सतत भ्रमण करती रहती है, गरबा घूमने का यही संदेश है। माँ के सामने गरबा घूम कर, उन्हें प्रसन्न करते हैं और नवरात्रि मनाते हैं। अर्चना अनुप्रिया।
Posted by: Archana Anupriya
10/31/2016 10:01:00 PM
"नवदुर्गा" नौ रूपों में तेरे माँ, ममता की झलक है; तेरी आभा से रोशन, ये धरा और फलक है; तू आकर बस जाए, हर दिल में हर घर में; यही चाह है हम सबकी, तेरे दुलार की ललक है। नौ रूपों में तेरे माँ, शक्ति भरी पड़ी है; धरती पर जब-जब भी, दानवी बाधा अड़ी है; हर रूप में आ-आकर, रक्षक बनी है तू; अपने बच्चों की खातिर, तू हर समय खड़ी है। नौ रूपों में तेरे माँ, संदेश विजय का है; शांति, करुणा, सहनशीलता, हर भाव विनय का है; नहीं पनप सकती बुराई, कभी भी तेरे आगे; वाहन भी तेरा अभेद्य है, प्रतीक वो जय का है। नौ रूपों को तेरे माँ, अपना प्रणाम करती हूँ; शीश तेरे चरणों में, मैं सुबह शाम धरती हूँ; आशीष दो हम सबको, अपने दुलार से भर दो; न्याय-पथ पर चलूँगी, आज यह प्रण करती हूँ। अर्चना अनुप्रिया।
Posted by: Archana Anupriya