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Kali puja

10/4/2016 2:10:00 PM

काली पूजा या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों में से मां काली भी एक स्वरूप है।मां का सातवां रूप बड़ी ही विकराल है लेकिन मां ने यह रूप अपने भक्तों की भलाई के लिए ही रखा है। नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की उपासना का विधान है। इस दिन साधक का मन 'सहस्रार' चक्र में स्थित रहता है। इसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है। माँ कालरात्रि सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं। काली शब्द काले रंग का प्रतीक है। साधक काली की उपासना को सबसे प्रभावशाली मानते हैं। काली किसी भी काम का तुरंत परिणाम देती हैं। काली की साधना के बहुत से लाभ होते हैं। जो साधक को साधना पूरी करने के बाद ही पता चल पाते हैं। भगवती दुर्गा की दस महाविद्याओं में से एक हैं महाकाली। जिनके काले और डरावने रूप की उत्पति राक्षसों का नाश करने के लिए हुई थी। यह एक मात्र ऐसी शक्ति हैं जिन से स्वयं काल भी भय खाता है। उनका क्रोध इतना विकराल रूप ले लेता है की संपूर्ण संसार की शक्तियां मिल कर भी उनके गुस्से पर काबू नहीं पा सकती। उनके

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Karma's cycle

10/6/2016 6:54:00 AM

कर्म का ही चक्र है ये जहान - - फिर तो क्या जानवर ,क्या इंसान और क्या भगवान--? अर्चना अनुप्रिया Karma's cycle is just above - then what? Man, animal and do god --? Archana Anupriyā

Posted by: Archana Anupriya

मेरी सूनी

10/8/2016 7:04:00 AM

चाँद से उतरकर, चाहत करीब आयी है मेरे, उसकी चाँदनी की चमक से, रोशन है मेरे दिल का कोना-कोना, अक्स उतर आया है तेरा, मेरी सूनी आँखों के कागज़ पर, मूँद कर पलकों ने, कैद कर लिया है तुम्ह

Posted by: Archana Anupriya

नवदुर्गा

10/8/2016 8:37:00 PM

"नवदुर्गा" नौ रूपों में तेरे माँ, ममता की झलक है; तेरी आभा से रोशन, ये धरा और फलक है; तू आकर बस जाए, हर दिल में हर घर में; यही चाह है हम सबकी, तेरे दुलार की ललक है। नौ रूपों में तेरे माँ, शक्ति भरी पड़ी है; धरती पर जब-जब भी, दानवी बाधा अड़ी है; हर रूप में आ-आकर, रक्षक बनी है तू; अपने बच्चों की खातिर, तू हर समय खड़ी है। नौ रूपों में तेरे माँ, संदेश विजय का है; शांति, करुणा, सहनशीलता, हर भाव विनय का है; नहीं पनप सकती बुराई, कभी भी तेरे आगे; वाहन भी तेरा अभेद्य है, प्रतीक वो जय का है। नौ रूपों को तेरे माँ, अपना प्रणाम करती हूँ; शीश तेरे चरणों में, मैं सुबह शाम धरती हूँ; आशीष दो हम सबको, अपने दुलार से भर दो; न्याय-पथ पर चलूँगी, आज यह प्रण करती हूँ। अर्चना अनुप्रिया।   "Navadurga" Nine Forms, your mom A glimpse of mamata; Let your glow, This is vain, and panel You are only coming, In every heart, every home This is all we desire, Excel your spoiled. Nine Forms, your mom Full Strength,, When on earth, - Aṛī Ogr

Posted by: Archana Anupriya

रास्ते

10/9/2016 12:30:00 AM

रास्ते में गड्ढा खोदने वालों को उसके कद का अंदाजा नहीं हो सका, ऊँचाई उसकी आसमान तक थी पर जमीन पर पैर रखकर वह झुक कर चलता था...। अर्चना अनुप्रिया।   Digging the hole way those short of him could not Till the sky, his height was on feet on the ground. He put up them over...। Archana Anupriyā.

Posted by: Archana Anupriya

उन्हें चाँद

10/9/2016 12:32:00 AM

उन्हें चाँद क्या कह दिया हमने... वो हर दिन अपनी फितरत बदलने लगे...। अर्चना अनुप्रिया।   Moon them what we say... Every one change their nature of the day...। Archana Anupriyā.

Posted by: Archana Anupriya

चलो

10/9/2016 12:33:00 AM

चलो, कुछ दूर साथ चलकर देख लिया जाए, हर शख्स को आजमा कर देख लिया जाए, बुलंदियों पर तो बेगाने भी अपने हो जाते हैं, नाकामियों के वक्त बुलाकर देख लिया जाए। अर्चना अनुप्रिया।   Let's go, walking away

Posted by: Archana Anupriya

दुनिया

10/9/2016 12:33:00 AM

दुनिया में गजब का कारनामा करते हैं कुछ बच्चे, गुब्बारों में अपनी साँस भरकर, परिवार का पेट भरते हैं कुछ बच्चे. .... अर्चना अनुप्रिया।   In a world of wonderful pitching some kids do, Pumping in your breath, fill Family's bellies into some baby. .... Archana Anupriyā.

Posted by: Archana Anupriya

चेहरे

10/9/2016 12:34:00 AM

चेहरे और पोशाक से आँकती है दुनिया, रूह में उतरकर कब झाँकती है दुनिया...? अर्चना अनुप्रिया। Face and attire is out of this world, ām̐katī In The Spirit when utarakara spectacles. World...? Archana Anupriyā.

Posted by: Archana Anupriya

तवायफ

10/9/2016 12:35:00 AM

तवायफ की सी हालत हो गयी है आज 'सच्चाई' की, चाहने वाले तो कई मिलेंगे पर अपनाने वाला कोई नहीं... अर्चना अनुप्रिया । Tavāyapha of today has become the 'truth', Who want a meet so many on the adoption... Archana Anupriyā.

Posted by: Archana Anupriya

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